दिगम्बर जैन आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज

सृजनधर्मी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व से आज कौन परिचित नहीं है I उनका जीवन सहज हैं, आडम्बर और प्रदर्शन से उनका दूर-दूर तक का सम्बन्ध नहीं है और यही वजह है कि सादगी के सौंदर्य से सुशोभित साधन मुक्त उनकी साधना अमिट छाप छोड़ रही हैं I

प्रशस्त आतिशयवती उनकी यथाजात स्वाधीन चर्या अनगिन जन भावनाओ कि आदर और आस्था का केंद्र बनी हुई है I यदि उनके अंतः करण में जिजीविषा कुछ हैं तो वह सिर्फ इतनी कि आगम और अधयात्म का मार्ग यथावत रहे I सार्वभौमिक चिंतना के इस व्यक्तित्व ने जहाँ एक और आत्म साधना कि ऊंचाइयों के स्वर्ण शिखरों को छुआ हैं तो वही सारस्वत साहित्य के महासागर में भी काम अवगाहन नहीं किया ई निरीह, निर्भीक, निरालम्ब और निष्पक्ष उनका जीवन धुर्व तारे कि तरह प्रकाशमान हैं I अप्रतिम आदर्श हैं I

उनकी वाणी में ओज हैं, माधुर्य हैं, प्रवाह हैं, एकात्मता हैं और है चुम्बकीये आकर्षण I सूत्र के रूप में संक्षिप्त सारगभिर्त बात करना उनकी अपनी उनकी मौलिक विशेषता हैं I उनके प्रवचनों में समाधान, स्वधया कक्षाओं में, या की व्याख्यान वार्ता संदेशो में इस तरह की सूत्र सम्पदा बाहुल्य रहता हैं और यही कारण हैं कि उनके आदेश/निर्देश त्वरित असरदार होते हैं I उनके विचारों में सुलझाव हैं, दूरदर्शिता हैं, बिखरी हुई शक्तियों को एक सूत्र में पिरोकर कुछ रचनात्मक करने कि उनकी स्पृहा अध्भुत हैं I मंगलवर्धिनी उनकी मानस-मनीषा में उपजा करुणा-कृपा का भाव युवा पीढ़ी में विरक्ति और विज्ञानं का सघन संस्कार दाल रहा है I

यह सच ही है कि उनकी आभा वलय में जो भी पहुँचता हैं वह वहीं का हो जाता हैं I ज्यादा क्या कहे, उनका कण भर आशीष और क्षण भर की आत्मीयता ही समूचे जीवन को रूपांतरित कर देती हैं I भ्रम और निराशा कि तिमिर विच्छुति कर नूतन उत्साह, आशा, साहस और समाधान का अलोक फैलाती हैं I कर्तव्य, संयम, स्वाध्याय, साधना, सदाचार और सद्भाव आदि का बुनियादी पथ दर्शाने वाले उनके विचार कही बल और बलिदान कि भावना जगाते हैं तो कही अभय और आनंद कि अनुभूति कराते हैं i सचमुच ही उनके विचार-वर्तुल में निराशा और उदासी को उत्सव में बदल देने कि क्षमता हैं I

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कुण्डलपुर

कुण्डलपुर दिव्य शहर दमोह, मध्य प्रदेश से 35 किलोमीटर दूर स्थित है | यह जगह भारत में जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक तीर्थ है। यहाँ बड़े बाबा ( भगवान् ऋषभ देव) की